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मर्डर एक प्रेम कहानी (सीजन-2) ep2

आपने देखा- राज का मर्डर हो गया है अनुज शास्त्री जी से मिलने के बाद राज के मम्मी पापा से मिलने जा रहा है

मर्डर- एक प्रेम कहानी-2 (भाग-2)
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अनुज राज के घर पहुंचा, मेन गेट खुला हुआ था लेकिन दरवाजा बंद था, अभी अनुज ने घंटी बटन पर उंगली रखी थी कि अंदर कुछ झगड़ने की आवाज आ रही थी

सुनीता(राज की मम्मी)- तुम समझते क्यो नही, राज आएगा…मेरा राज मर नही सकता,
ललित(राज के पापा)- संभालो खुद को, आएगा.……जरूर आएगा। तुम खा लो कुछ, दो दिन से कुछ खाया नही तुमने।
सुनीता- मेरा बेटा आएगा तभी खाऊँगी।
ललित- आ जायेगा अभी खा लो, एक बार फिर खा लेना जब वो आएगा।
सुनीता- वो आएगा ना………
ललित - हाँ जरूर आएगा।

( घंटी बजाने की हिम्मत नही थी अनुज में फिर भी बजायी)

सुनीता- आ गया मेरा बेटा……मैं खोलूंगी…….लगता है आ गया हमारा बेटा।
(दौड़ते हुए जाकर सुनीता ने दरवाजा खोला, चेहरे में उम्मीद थी, एक आशा थी जो अपने मरे हुए बेटे का इंतजार कर रही थी, अचानक किसी और को पाकर सब कुछ गायब हो गयी बस उदासी की लकीरें लेकर बिना अंदर को आने को बोले आ जाती है)
सुनीता- नही आया मेरा बेटा…….

अनुज- मैं भी आपके बेटे जैसा हूँ। क्या तुम मेरी माँ बन सकती हो।
सुनीता- (नही मैं सिर हिलाते हुए ललित की तरफ देखती है)
ललित- अरे अनुज आप, प्लीज बैठो ना।(स्वर सबके दुखी थे)
सुनीता- आपने मेरे राज को देखा, कब आएगा वो

अनुज- (चुप्पी साधे हुए था)………

ललित- कुछ पता लगा।
अनुज- आंटी के सामने बात करना ठीक नही है आपसे कुछ पूछना भी है,कही अकेले..……(चुप हो गया)
ललित - चलो मेरे साथ (ऊपर राज के कमरे में ले जाता है जो पूरी तरह से बंद किया था पर्दे लगाए थे।)

राज के कमरे में प्रवेश

अनुज ने खिड़की के पर्दा हटाया तो देखा सामने घर था जिसकी छत पर संजना और अरुण टहल रहे थे,

अनुज- संजना अपने मायके ही रहती है।
ललित- नही..…कल ही आयी राज की खबर सुनकर……बेचारी बहुत खयाल रखती है शास्त्री जी का, और हमारा भी सुनीता ऐसे पागल हो गयी है, और इसकी बहन मौसी भी सदमे में है, बुखार चढ़ गया उसे भी
अनुज- आपकी हिम्मत की सराहना करता हूँ इतनी बड़ी मुशीबत में भी हिम्मत नही हारे
ललित- मैं भी हिम्मत हार गया तो औरो को क्या हिम्म्मत दूंगा, वरना अपनी किस्मत में रोना तो मुझे भी आता है। उसके खून से लथपथ कपड़ो से ही उसका अंतिम संस्कार किया, किस्मत में बेटा नही था तो उसकी अर्थी भी नही।
अनुज- आपके बेटे का कोई खास दुश्मन ,
ललित- हाँ, दुश्मन तो है, मगर चार साल से पुलिस उसे ढूंढ रही है , उसका कोई पता नही चला, हो सकता है वो इंडिया में है ही नही।
अनुज- कौन,
ललित- राजीव………
अनुज- अच्छा जिसने दिव्या का खून किया, लेकिन पकड़ा नही गया।
ललित- हाँ……विक्रम ने बहुत कोशिश की, मगर नही मिल रहा है,
अनुज- कौन विक्रम……
ललित- राज को जेल से उसी ने छुड़वाया था, सबूत इक्कठे किये थे, राजीव के खिलाफ..……मगर राजीव मिला नही आज तक

(तभी उनकी दरवाजे की घंटी फिर से बजी और एक बार फिर सुनीता चिल्लाते हुए दौड़ी……मेरा राज आ गया)

ललित- शायद कोई आया है, चलो नीचे चलके बात करते है।

(अनुज और राज के पापा नीचे आते है)
(नीचे एक लड़का और लड़की आये हुए थे)

अनुज ललित से पूछते हुए- ये कौन है
ललित- आओ मिलाता हूँ
(लड़के की तरफ इशारा करते हुए) ये है इंस्पेक्टर विक्रम
अनुज- (हाथ मिलाते हुए) ओह आप है विक्रम, हाव् आर यु?
विक्रम- फाइन ब्रदर🤝
ललित- और ये है इनकी बीवी एडवोकेट अंजलि।
अनुज- 🤝हेलो वकील साहिबा……तो आपने शास्त्री जी के कहने पर केस लड़ा था राज का।
अंजलि- जी हाँ..…

(मिलना जुलना हुआ)

अंजलि ने खुद ही किचन में जाकर सबके लिए चाय बनाई, मौसी बगल वाले कमरे में लेटी थी सुनीता भी जा लेटी,विक्रम अनुज और ललित ऊपर राज के कमरे में गए.

विक्रम- मैं अपना ट्रांसफर बॉम्बे करा रहा हूँ और मैं ये केश लेना चाहता हूँ, आप लोगो की हेल्प की जरूरत होगी।

अनुज- क्या करोगे बॉम्बे आकर, चंडीगढ़ रहकर दिव्या के उस कातिल को तो पकड़ नही पाए जिसका नाम, पता, एड्रेस, फ़ोटो सबकुछ था तुम्हारे पास, अब उसे कैसे ढूंढोगे जो अपना  सबूत तो छोड़ो लाश भी नही छोड़ गया।

विक्रम- वो केश बन्द हो चुका था, फिर भी अपनी तरफ से कोशिश नही छोड़ी मैंने, लेकिन राजीव के भारत मे होने की कोई पुष्टि नही हुई
अनुज- पुष्टि तो किसी और देश मे जाने की भी नहीं है।
       तो क्या जमीन खा गई।
ललित- इन बातों से अब क्या लेना। आपस मे झगड़ने लगे तुम।
अनुज- अगर ट्रांसफर ना हुआ तो...????
विक्रम - तो मैं जॉब छोड़ दूंगा, और बॉम्बे चले जाऊंगा, बिना वर्दी के ढूंढूंगा उसे।
अनुज- बिना वर्दी के अपनी किम्मत जानते हो तुम
विक्रम- मैं कुछ नही जानता, मगर मुझे उस कातिल तक हर हालत में पहुंचना है।
अनुज- मर्जी आपकी, मगर ध्यान से....
           "दुश्मन हजारो है राह-ए-तरक्की में,
           "मिल जाये कोई दोस्त तो दुआ कबूल हो जाये,
           "आप जिसे आम समझ खाने लगो
          "क्या पता वो बबूल हो जाये।

विक्रम- "जमाने से सीख लिया अब तो
            "किसी दर्द से हम नही पिघल पाएंगे
            "बबूल हो जिसे आम समझ बैठे
            " उसे बिना चबाए निगल खाएंगे।"

अनुज- अरे वाह, आप भी शायरी का शौक रखते है।

विक्रम- क्यो?.... जासूसी तो आप भी कम नही करते, तो क्या मैं शायरी नही कर सकता

(दूसरी तरफ नजर डालते है)
नीता घर मे अकेले बैठी है, अनुज को फोन किया उसने उठाया नही, तभी घर के दरवाजे की घंटी बजती है,
नीता ने दरवाजा खोला
नीता- शिला तुम.……आओ ना
शिला- (दीदी के गले लगकर एक बार फिर रोने लगती है)
नीता- रो नही पागल...तेरे रोने से वो वापस नही आ जायेगा.......
( खुद को संभालते हुए शिला सोफे पर बैठती है नीता उसके लिए पानी लाती है,)

शिला कुछ पुराने ख्याल में खो जाती है

राज- तुमने कभी बताया नही तुम मुझसे प्यार करती हो।
शिला- डरती थी मैं..
राज- लेकिन क्यो, मुझसे कैसा डर,
शिला- कही तुम मना ना कर दो
राज- तुम जानती हो दिव्या, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। तुम्हारे बिना जीना एक सजा है मेरे लिए, तुम समझती नही दिव्या, आई लव यू

           "कट कट कट" डायरेक्टर चिल्लाया
डायरेक्टर- कितनी बार बोला है राज, दिव्या नही बोलना है अभी शिला का नाम पूजा है...पूजा बोलना है
शिला- दिव्या, दिव्या, दिव्या  सारे शॉट दिव्या ही खराब करती है हमारी, कितनी बार शूट करना पड़ता है।
राज- मैं फिर ट्राय करता हूँ।

      """""एक्सन"""""
राज- तुमने कभी बताया नही तुम मुझसे प्यार करती हो।
शिला- डरती थी मैं..
राज- लेकिन क्यो, मुझसे कैसा डर,
शिला- कही तुम मना ना कर दो
राज- तुम जानती हो पूजा , मैं सिर्फ दिव्या से प्यार करता हूँ। उसके बिना एक पल भी जीना सजा हो गया....

       "कट कट कट" अपना सिर खुजलाते हुए डायरेक्टर बोला,-इसका एक ही इलाज है। पूजा का नाम ही दिव्या रख लेते है...शिला तुम दिव्या हो।
अब एक के बाद एक सीन दिए बिना किसी कट कट कट के।
शिला- मेरा मन तो कर रहा है मैं दिव्या ही बन जाऊं, अपना नाम ही बदल कर दिव्या रख लूँ
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नीता- क्या फायदा उसके बारे में सोचकर,
शिला- (अचानक जगते हुए)- वो भी तो सोचता था दिव्या के बारे में।
नीता- शीला...मैं जानती हूँ....मैं जानती हूँ तेरी फीलिंग राज के लिए क्या थी, आज तीसरा दिन है लाश अभी तक नही मिली, अब तक तो……छोड़ो उसके बारे में सोचना,अपने करियर में ध्यान दो………तेरा सपना पूरा होने जा रहा है,
एक्टर बनना है ना...तूने
शिला- हाँ……लेकिन मेरा एक और सपना था, राज के गाने में एक्टिंग करना, राज के साथ एक्टिंग करना, सिर्फ एक फ़िल्म में गाये उसने गाने मेरे लिए

नीता-  वो तेरे लिए नही उस फिल्म के लिए थे। और वैसे भी  सारे सपने पूरे नही होते……और हां तूने मिश्रा जी को शूटिंग के लिए मना क्यो किया।
शिला- दीदी वो वाली शूटिंग आधी रह गयी………जिसमे अर्जुन और दिव्या की प्रेम कहानी थी, जिसमे मैं दिव्या थी राज अर्जुन……अब राज के बिना मेरी कहानी अधूरी रह सकती है तो अर्जुन  और दिव्या की क्यो नही।
नीता- तू क्या कह रही है मुझे समझ नही आ रहा है।पागल हो गयी है, उसके बारे में सोचना छोड़  मैं तेरे लिए कॉफी बना लाती हूँ।
शिला- नही दीदी...कुछ खाने पीने का मन नही है,...

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अनुज राज के घर मे उसके पापा से बातचीत में लगा था,विक्रम और अंजलि जा चुके थे, मौसी और राज की मम्मी सो रही थी।

ललित- लास्ट बार कब मिले, आप उसे।
अनुज- पिछले हफ्ते 2 बार मुलाकात हुई  हत्या के दो दिन पहले और पांच दिन पहले दोनो बार मे काफी फर्क था, बहुत अजीब अजीब बात कर रहा था ना जाने कहाँ खोया रहता था, अचानक पीछे से कोई छुए तो डर जाता था।

2 नवम्बर 2019-

अनुज- तुमने क्या सोचा है।
राज- किस बारे में…….
अनुज-इस म्यूजिक कम्पनी के बारे में, जिसे हमने मिलकर इस मुकाम पर खड़ा किया है।
राज- तो इसमें सोचना क्या है।
अनुज- तुम्हारा ध्यान कहाँ है राज....अभी तुम ही तो बोल रहे थे, मैने बहुत कुछ सोचा है इस म्यूजिक कंपनी के बारे में.
राज- ना जाने मुझे ऐसा क्यो लग रहा है, कोई मेरा पीछा करता है आजकल, हर पल हर वक़्त, कोई मेरे साथ चलता है।
अनुज- अब बोलोगे दिखता नही है……कोई नई स्टोरी है दिमाग मे तो सुना दो...खुद से जोड़कर पहेलियां क्यो बुझा रहे हो।
राज- मैं सच बोल रहा हूँ, मैं रात को सोता हूँ, तो ऐसा लगता है कोई और भी है मेरे अलावा कमरे में,
अनुज- हॉरर मूवी....ना ना ना मैं रोमांटिक मूवी बना भी लूंगा, हॉरर मैं नही बनाऊंगा।
राज- पूछता क्यो है अगर मेरी बात पर यकीन नही करना तो।
अनुज- ये लो कर लो बात...मैने कब पूछा मैं तो म्यूजिक कम्पनी के बारे में पूछ रहा था, और तूम अपनी कहानी सुनाने लगे।
राज- चल ठीक है, मैं जा रहा हूँ,(कहकर राज उठ खड़ा हुआ और चला गया)
अनुज- (आवाज देते हुए) फिर कब मिलेंगे
राज-  "जन्नते " रिलीज होगी उस दिन
अनुज- तू जन्नत में जा रहा है क्या
राज- मन तो है, वहाँ मेरी दिव्या इंतजार करती है रोज..(दूर जाकर चिल्लाते हुए कहा)

अनुज- एक ये और एक इसकी दिव्या...कहानियां सुना सुना कर पका ही देता है, मेरी दिव्या ऐसी थी मेरी दिव्या वैसी थी,
फर्स्ट मुलाकात में उसके साथ एक्टिवा के पीछे बैठा, उसने मुझे तब कार में घुमाया जब मुझे कार चलानी नही आती थी...उफ्फ छोटी छोटी खुशियों की माला पहनकर घूमता है बेचारा, कोई बड़ी खुशी तो मिली ही नही पहले। अब मिल रही है तो इसे कद्र नही है, बस अतीत में जीता है, वरना शिला में क्या कमी थी, नम्बर वन मॉडर्न है, मेरी साली है अगर रिश्ते में बंध जाते तो चार चाँद लग जाते मेरे करियर में, शिला की एक मूवी भी तो इसी की वजह से हिट हो गयी उसकी "इश्क नही आसां" सारे गाने तो राज ने ही गाये थे।

(अनुज ऐसे ही खुद से बात करता है )

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ललित- तो आपको नही लगता आपको उस पर भरोसा कर लेना चाहिए था।
अनुज- भरोसा……मगर कैसे..……उसके बहम पर कैसे भरोसा करते,
ललित- क्या पता उसका बहम बहम नही कोई सच हो जो सिर्फ उसे दिख रहा था,आपको नही।
अनुज- अगर आपका इशारा कीसी भूत प्रेत या चुड़ैल की तरफ है तो प्लीज………मैं नही मानता ये सब
   (कहकर अनुज राज के घर से निकल आया)

अब अनुज का मन नही था एक भी मिनट चंडीगढ़ रुकने का उसे कोई खास वजह भी नही नजर आई रुकने की,
अनुज ने फ्लाइट पकड़ी और मुम्बई पहुच गया।

मुम्बई पहुंचते ही एक बहुत बड़ी घटना उसके साथ घटी, जिसका उसने सपने में भी नही सोचा था,

क्या थी वो घटना पढेंगे अगले एपिसोड में


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16 Comments

🤫

27-Apr-2022 08:29 PM

उफ़्फ़,,, कितने सस्पेन्स भरे हुए हैं । कहानी में अब लग रहा है एक बार फिर से मर्डर 1 पढ़नी पड़ेगी

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Archita vndna

26-Apr-2022 11:38 PM

Nicely written

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Horror lover

26-Apr-2022 11:21 PM

Kya bat hai saspence se bhary ek umda khani

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